US Gold Card Visa: ट्रंप का नया वीज़ा प्रोग्राम, ₹880 करोड़ में अमेरिकी नागरिकता का रास्ता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “गोल्ड कार्ड वीज़ा प्रोग्राम” की घोषणा की है। यह प्रोग्राम विदेशी नागरिकों और निवेशकों के लिए अमेरिका में तेज़ी से रेज़िडेंसी और नागरिकता हासिल करने का नया विकल्प बन सकता है। लेकिन इसकी कीमत बेहद ऊंची रखी गई है।


US गोल्ड कार्ड वीज़ा क्या है?

गोल्ड कार्ड वीज़ा एक नया इमिग्रेशन प्रोग्राम है जिसके जरिए विदेशी नागरिक अमेरिका में बस सकते हैं।

  • इसके लिए व्यक्ति को कम से कम $10 लाख (लगभग ₹8.8 करोड़) निवेश करना होगा।
  • साथ ही $15,000 (₹13 लाख से ज्यादा) की वेटिंग और बैकग्राउंड चेक फीस भी देनी होगी।
  • कंपनियां अपने कर्मचारियों को $2 लाख (₹1.76 करोड़) देकर फास्ट-ट्रैक वीज़ा दिला सकती हैं।

📌 अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक के मुताबिक, यह प्रोग्राम खासकर उन लोगों के लिए है जिनके पास असाधारण प्रतिभा है या जो अमेरिका की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान कर सकते हैं।


💰 कितना खर्च होगा गोल्ड कार्ड वीज़ा पर?

ट्रंप प्रशासन ने साफ किया है कि यह वीज़ा सस्ता विकल्प नहीं है। इसका लक्ष्य उन्हीं लोगों को आकर्षित करना है जिनके पास निवेश और संसाधन मौजूद हैं।

खर्च का पूरा विवरण:

  1. व्यक्तिगत निवेशक:
    • न्यूनतम निवेश: $10 लाख
    • वेटिंग + बैकग्राउंड फीस: $15,000
  2. कंपनियों के लिए:
    • स्पॉन्सर्ड वर्कर्स के लिए फास्ट-ट्रैक वीज़ा: $2 लाख प्रति कर्मचारी
  3. एच-1बी वीज़ा में बढ़ी फीस:
    • अब इसकी लागत $1 लाख (₹88 लाख) कर दी गई है।

इससे साफ है कि अमेरिका अब “टैलेंट और निवेश” दोनों को साथ लेकर चलना चाहता है।


📜 ट्रंप का बयान और उद्देश्य

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि इस प्रोग्राम से अरबों-खरबों डॉलर इकट्ठे होंगे।

  • यह राशि टैक्स घटाने, कर्ज चुकाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में इस्तेमाल की जाएगी।
  • यह प्रोग्राम अमीर निवेशकों और कारोबारियों को आकर्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • साथ ही यह प्रतिभाशाली प्रोफेशनल्स और इनोवेटर्स के लिए भी नया अवसर है।

🌍 भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर

भारत से हर साल लाखों लोग अमेरिका में पढ़ाई और नौकरी के लिए जाते हैं।

  • एच-1बी वीज़ा की बढ़ी हुई फीस से भारतीय आईटी और टेक सेक्टर पर सीधा असर पड़ेगा।
  • वहीं, गोल्ड कार्ड उन भारतीय उद्योगपतियों और स्टार्टअप फाउंडर्स के लिए अवसर ला सकता है जो अमेरिका में कारोबार फैलाना चाहते हैं।

👉 उदाहरण: कई भारतीय यूनिकॉर्न स्टार्टअप पहले से ही अमेरिकी मार्केट में मौजूद हैं। गोल्ड कार्ड उन्हें स्थायी ठिकाना दे सकता है।


🏛️ मौजूदा ग्रीन कार्ड प्रोग्राम पर असर

अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक ने संकेत दिया है कि गोल्ड कार्ड आने के बाद मौजूदा EB-1 और EB-2 वीज़ा कैटेगरी को खत्म किया जा सकता है।

  • EB-1 और EB-2 वीज़ा अब तक असाधारण प्रतिभा वाले व्यक्तियों और स्किल्ड वर्कर्स के लिए खास रास्ता थे।
  • गोल्ड कार्ड उन्हें रिप्लेस कर सकता है।

📌 विशेषज्ञों का मानना है कि इससे इमिग्रेशन सिस्टम का फोकस निवेश और पूंजी पर और ज्यादा हो जाएगा।


🔎 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

गोल्ड कार्ड प्रोग्राम पर दुनियाभर से प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं।

  • समर्थक कहते हैं कि यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था में नए निवेश लाएगा।
  • विरोधी मानते हैं कि यह “पैसे वालों के लिए नागरिकता” जैसा है और आम प्रवासियों के लिए मुश्किलें बढ़ाएगा।

यूरोप और मिडिल ईस्ट के कई देशों में पहले से ही ऐसे प्रोग्राम हैं जिन्हें “Golden Visa” कहा जाता है। अमेरिका का नया मॉडल उनसे प्रेरित माना जा रहा है।


📊 आर्थिक प्रभाव

अमेरिकी प्रशासन का अनुमान है कि इस प्रोग्राम से पहले ही साल में सैकड़ों अरब डॉलर का निवेश आएगा।

  • यह राशि अमेरिका की GDP ग्रोथ, रोजगार सृजन और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में मदद करेगी।
  • ट्रंप प्रशासन इसे अपनी आर्थिक सुधार रणनीति का अहम हिस्सा बता रहा है।

📌 गोल्ड कार्ड बनाम एच-1बी वीज़ा

पैरामीटरगोल्ड कार्ड वीज़ाएच-1बी वीज़ा
लागत$10 लाख निवेश + $15,000 फीस$1 लाख फीस
लक्षित वर्गनिवेशक, कारोबारी, प्रतिभाशाली लोगटेक और स्किल्ड वर्कर्स
स्थायी नागरिकतातेज़ और आसानलंबी वेटिंग
कंपनियों की भूमिकाफास्ट-ट्रैक वीज़ा $2 लाखस्पॉन्सरशिप आवश्यक

🧾 FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1: गोल्ड कार्ड वीज़ा क्या है?
👉 यह अमेरिका का नया वीज़ा प्रोग्राम है जिसके जरिए निवेशक और प्रतिभाशाली लोग अमेरिकी रेज़िडेंसी और नागरिकता पा सकते हैं।

Q2: इसकी लागत कितनी है?
👉 कम से कम $10 लाख का निवेश और $15,000 की अतिरिक्त फीस। कंपनियां $2 लाख देकर फास्ट-ट्रैक वीज़ा ले सकती हैं।

Q3: क्या भारतीय नागरिक आवेदन कर सकते हैं?
👉 हां, भारतीय निवेशक और उद्योगपति इस प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकते हैं।

Q4: क्या यह EB-1 और EB-2 वीज़ा की जगह लेगा?
👉 अमेरिकी प्रशासन ने संकेत दिया है कि गोल्ड कार्ड इन दोनों कैटेगरी को रिप्लेस कर सकता है।

Q5: आम प्रवासियों पर इसका असर क्या होगा?
👉 आम प्रवासियों और स्किल्ड वर्कर्स के लिए अमेरिका का रास्ता मुश्किल हो सकता है क्योंकि अब फोकस निवेश पर ज्यादा होगा।


🏁 निष्कर्ष

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का “गोल्ड कार्ड वीज़ा प्रोग्राम” इमिग्रेशन पॉलिसी में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। यह एक तरफ विदेशी निवेशकों और प्रतिभाशाली लोगों के लिए नया अवसर खोलता है, वहीं दूसरी ओर आम स्किल्ड वर्कर्स के लिए चुनौतियां भी बढ़ाता है। आने वाले महीनों में इसके आर्थिक और सामाजिक प्रभाव ज्यादा साफ होंगे।

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