Vishwakarma Puja 2025: सोने की लंका से पुष्पक विमान तक, जानें भगवान विश्वकर्मा की अद्भुत कृतियां

UP कानपुर नगर / देहात: Newswell24.com
हर वर्ष 17 सितंबर को पूरे देशभर में Vishwakarma पूजा का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। इसे सूर्य संक्रांति के दिन मनाया जाता है। हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को “ब्रह्मांड का वास्तुकार” और “संसार का प्रथम इंजीनियर” माना गया है। इस अवसर पर हम भगवान विश्वकर्मा के जीवन, मान्यताओं और उनकी अद्भुत रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।


🙏 भगवान Vishwakarma कौन हैं?

हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को लेकर कई मान्यताएं मिलती हैं।

  • अधिकांश ग्रंथों के अनुसार, वे भगवान ब्रह्मा के वंशज थे।
  • कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र धर्म से वास्तुदेव का जन्म हुआ और वास्तुदेव तथा उनकी पत्नी अंगिरसी से भगवान विश्वकर्मा का अवतरण हुआ।
  • कुछ धार्मिक ग्रंथों में उनका उल्लेख ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रूप में भी मिलता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान Vishwakarma का जन्म भाद्रपद मास की कन्या संक्रांति (17 सितंबर) को हुआ था। इसी दिन हर वर्ष Vishwakarma जयंती और पूजा का आयोजन किया जाता है।


🏛️ ब्रह्मांड के वास्तुकार

भगवान Vishwakarma को सृष्टि का प्रथम शिल्पकार माना जाता है।

  • जहां ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड की रचना की, वहीं उसे सजाने और व्यवस्थित करने का कार्य भगवान Vishwakarma ने किया।
  • उन्हें ब्रह्मांड का पहला आर्किटेक्ट और इंजीनियर माना गया।
  • उनकी कारीगरी केवल इमारतों या महलों तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने दिव्य अस्त्र-शस्त्र, विमान और देव लोक तक का निर्माण किया।

इसी कारण उन्हें “ब्रह्मांड का वास्तुकार” और “विश्व का प्रथम अभियंता” कहा जाता है।


✨ भगवान Vishwakarma की अद्भुत कृतियां

🏰 1. स्वर्ग लोक की रचना

भगवान Vishwakarma को स्वर्ग लोक का प्रमुख वास्तुकार माना गया। उन्होंने अनेक देवनगरी, जैसे कुबेर पुरी और इंद्रपुरी का निर्माण किया। यह स्थान देवताओं के वैभव और दिव्यता का प्रतीक माने जाते हैं।


🪙 2. सोने की लंका

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, भगवान Vishwakarma ने कुबेर के लिए सोने की भव्य लंका का निर्माण किया था।

  • यह लंका अपनी स्थापत्य कला और सुनहरी दीवारों के लिए प्रसिद्ध थी।
  • बाद में रावण ने इस लंका को अपने अधीन कर लिया और इसे अपनी राजधानी बनाया।
  • रामायण में लंका का विवरण उसकी भव्यता और अद्वितीय निर्माण शैली के लिए किया गया है।

✈️ 3. पुष्पक विमान

भगवान Vishwakarma की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है पुष्पक विमान

  • इसे संसार का पहला विमान माना जाता है।
  • रामायण में उल्लेख है कि रावण ने इसका उपयोग किया और बाद में भगवान श्रीराम इसे अयोध्या लेकर आए।
  • यह विमान एक साथ हजारों यात्रियों को ले जाने में सक्षम था और अपनी गति व डिजाइन के कारण अद्वितीय माना जाता है।

🌊 4. द्वारका नगरी

भगवान श्रीकृष्ण के लिए समुद्र के बीच बनाई गई भव्य नगरी द्वारका का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया।

  • इसे “जलनगरी” कहा जाता है।
  • द्वारका का उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है।
  • समुद्र तट पर स्थित होने के बावजूद इसकी संरचना इतनी मजबूत थी कि यह दिव्य नगरी के रूप में प्रसिद्ध हुई।

⚔️ 5. देवताओं के अस्त्र-शस्त्र

भगवान विश्वकर्मा को दिव्य अस्त्र-शस्त्रों के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है।

  • भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र
  • भगवान शिव का त्रिशूल
  • ब्रह्मा जी का ब्रह्मास्त्र
  • यमराज का कालदंड और पाश
  • इंद्र का वज्र

इन सभी दिव्य अस्त्रों की रचना भगवान विश्वकर्मा ने की थी। ये शस्त्र देवताओं की शक्ति और संरक्षण का आधार बने।


📖 विश्वकर्मा पूजा का महत्व

भारत में विश्वकर्मा पूजा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक भी है।

  • कारखानों, मशीनों और कार्यस्थलों पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।
  • श्रमिक, इंजीनियर, तकनीकी कर्मचारी और औद्योगिक इकाइयां इस दिन औजारों और मशीनों की सफाई कर उनकी पूजा करते हैं।
  • यह परंपरा केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी मनाई जाती है।

🌍 सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

  • भगवान विश्वकर्मा को भारतीय शिल्पकला और तकनीकी परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
  • आज भी कई मंदिरों और स्थापत्य कला में उनकी झलक देखने को मिलती है।
  • इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर से जुड़े लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।

📊 आधुनिक संदर्भ में विश्वकर्मा पूजा

वर्तमान समय में, जब तकनीक और औद्योगिक क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, भगवान विश्वकर्मा की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।

  • औद्योगिक प्रतिष्ठानों में विश्वकर्मा जयंती विशेष महत्व रखती है।
  • इस अवसर पर कर्मचारी आपसी भाईचारे और मेहनत के प्रति समर्पण की भावना को मजबूत करते हैं।
  • कई संस्थान इस दिन छुट्टी देकर विशेष पूजा का आयोजन करते हैं।

❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. भगवान विश्वकर्मा को किस नाम से जाना जाता है?
👉 उन्हें “ब्रह्मांड का वास्तुकार” और “प्रथम इंजीनियर” कहा जाता है।

Q2. विश्वकर्मा पूजा कब मनाई जाती है?
👉 हर साल 17 सितंबर को सूर्य संक्रांति के दिन।

Q3. पुष्पक विमान किसकी रचना थी?
👉 पुष्पक विमान भगवान विश्वकर्मा की अद्भुत कृति थी।

Q4. सोने की लंका किसने बनाई थी?
👉 सोने की लंका का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने कुबेर के लिए किया था।

Q5. द्वारका नगरी किसके लिए बनाई गई थी?
👉 द्वारका नगरी भगवान श्रीकृष्ण के लिए बनाई गई थी।


📝 निष्कर्ष

भगवान विश्वकर्मा केवल एक धार्मिक देवता नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में तकनीक, कारीगरी और वास्तुशास्त्र के प्रतीक हैं। सोने की लंका, पुष्पक विमान और द्वारका जैसी उनकी अद्भुत कृतियां आज भी श्रद्धा और आश्चर्य का विषय बनी हुई हैं। विश्वकर्मा पूजा 2025 पर हमें उनकी शिक्षाओं और योगदान को याद कर उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

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